Thursday, May 23, 2013

"पनदा रमुवा अर खिमू"

"पनदा रमुवा अर खिमू"

पनदा- रमुवा चाँआ पकै दे भुला
रमुवा- अल्लै पकुणु
पनदा य चिनि निमडँ रै
पनदा- त खिमू मगा दे चिनि तैकु हाथक चिनि भौते फाँर हुँ

तबतै एक अग्रेज वा ऐजा अर अणाड फणाड जागग नौ पुछण भैजा

रमुवा- अरे खिमु छ्वड यार तगै ना तगै कुमाँऊणि ऐ ना हमगै अग्रेजी जा यार एक किलो चिनि लिबै आदै
त्यर हाथक चिनि "भौते फाँर" (किसी के हाथ कि चिज बहुत चलती है तो उसे कहते है- "तैक हाथ भौते फाँर छू") हुँ यार

अग्रेज जसकै फाँर ("फाँर" far- दुर ) शब्द सुनु
ओ माई गोड "भैरि फाँर" (बहुत दुर)

खिमु- होई भौते फाँर

रमुवा- ओ बौज्यु म्यर त राडि च्यालाकै कुँमाऊणि ले उण भगैछो

फाँर-अफाँर कुमाँऊणि शब्द छण
फाँर- मतलब कैकु हाथक समान भौते चलै ता उगुँ फाँर कुणि

अर

अफाँर- जैक हाथक समान कम चलु ता कुणि तैक हाथ अफाँर छू (अफँरिपट)

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

Friday, May 3, 2013

सुन ले चीन बात हमारी

सुन ले चीन बात हमारी
जो कदम रखा है
जिस धरति मे
वीरो कि खेती उगति है
ना उकसा हम को
बधे हुऐ ये हाथ हमारे
भँष्ट नेता के जँजीरो से

जो सटक गयी ये खोपडि देख
थाम सके ना कोई वीर
सुन ले चीन बात हमारी

"शान्त सरोवर के है भारतीय
बिखुड गये तो शेर के जैसे हिसँक प्राणि
ना उलझो हमसे"

"हँवा के जैसे मध्यम प्राणि
बिखुड गये तो तेज तुफानी के है भारतीय
ना उलझो हमसे"

जो सटक गयी ये खोपडि देख

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

Thursday, May 2, 2013

सरबजीत

पाक से लोटा
एक शूरवीर हमारा
मृत श्याँ मे लेटा है जो
ख्वाँईश थी उस व्यक्ती कि
अपने माँटि मे रँगने कि
लोट के आया
लाल कपडे के चादर मे सौया
माँ भारति का था ओ लाल
दिल कलेजा दान मे देके
लोट के आया
माँ भारति का था ओ लाल

सौ सितम झैल के आया
माँ भारति का कर्ज चुकाँ के
देश कि माँटि मे रँगने
परिवार से मिलने मुक्ति पाने
मृत श्याँ मे पाक से लोटा
दिल कलेजा दान मे देके
लोट के आया
माँ भारति का था ओ लाल

जिवित रह के
ना कोई उसका अपना
आज उँमड के नेता आऐ
पैसो कि बारशि अर्थि मे उसके
वाह रे नेता...
जीते जी काम लगा ना
मृत श्याँ को खरीद लिया
वाह रे नेता तूने आज
वाह रे नेता तूने आज

दिल कलेजा दान मे देके
लोट के आया
माँ भारति का था ओ लाल

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

अँकुई हैगि यु सैणि मैस

अँकुई हैगि यु सैणि मैस
बल माँटि मा हैगो छेद
नि उगनौय धानु खेत
इँन्सान ता बदली
बदली गै यु माँटि आज
हाँट भाँट तोडि
नि भरनौय पेट
कै हैगो कै रैगो
बजँर पडि यु पहाडि माँट

अँकुई हैगि यु सैणि मैस
लैण दैण ऊ पहाडि पेट
सुँसाईटि मा हैगो गेट
जो झण-मण हुछि खेत
सुँसाईटि मा हैगे लेण

अँकुई हैगि यु सैणि मैस
गौरु वाला भैसि वाला
अँकुई हैगि यु मैसि काला
ना गौरु बाँछा ना मौ कु डाला
जीड जीड खेत नि ऊपजि पैद

अँकुई हैगि यु सैणि मैस
रेडि मेड खेति चै
सदाबहार बिन मेहनत कूँ
ना इखरि ना दवारि मौ
बस सुँसाईटि खाद चै

अँकुई हैगि यु सैणि मैस
इन्सान ता बदली रेडि मेड
नि बदली यु पहाडि माँट
आज ले छण ऊ सारे रँग
खुणन खुणन धार
सिमरिया बास
सिढि दार खेति वाल
बस नजर छू रेडि मेड
सदाबहार बिन मेहनत कूँ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

Wednesday, April 24, 2013

अगर है लेना सूरज से कुछ

Image Hosted At MyspaceGens




युँ तो सूरज रोज निकलता और ढलता है
सदीयो से यूँ ही एक क्रिया मे
ना बदला है ना बदलने कि कोई आहट है

अगर है लेना सूरज से कुछ

तो उसके जीवन शैलि को लेना
जो निरन्तर निष्फल होके
सदीयो से युँ ही एक क्रिया मे
ऊँजा का एक ऐसा राजा
अमिर गरीब कि तुलना है ना
सबको बाँटे लाल किरण
निष्फल होके
सारे जगत को महकाता सूरज

अगर है लेना सूरज से कुछ

तो उसके जीवन शैलि को लेना
क्योकि दोस्तो,
सूरज रोज चढता और ढलता है
सदीयो से युँ ही एक क्रिया मे
सदीयो से युँ ही एक क्रिया मे

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola

Friday, April 12, 2013

त्यर पहाड म्यर पहाड का बै सुधरो का बै बिगडो

त्यर पहाड म्यर पहाड
का बै सुधरो का बै बिगडो
शाष पडि यु पहाड
नान ठुला कक च्येला
दुकानदारा मुर्गि आण
देशी गुलाब बुब नाती
दगडे हुणि यु टोटिल

घर मा देखी आम्ल हाल
बिड़ दगडि मार फुकाण
सास गयि रे मल भदैर
ब्वारिल मारि गढ कनाँऊ
सैणि हैरिण बिड़ फुकाणि
त्यर पहाड म्यर पहाड
का बै सुधरो का बै बिगडो

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserveds

Tuesday, March 12, 2013

कारबार

खेति जोडि जोडि ब्वाँर
एक जोडि बल्दो ग्वाँड

सोचि मैल
भलै हल घर कारबार
एक जोडि ब्वाँरि कु साथ
पर- किन्तु- परन्तु- लेकिन-
कारबार मे फिसले न्याँर
अध्योँ किस्त मे गड़ भिड मार
दिल्ली मे बैठे है ये न्याँरै
छतर बतर करके घर कारबार
उसके सपने जिसने जोडा जोडि ये कारबार
एक जोडि बल्दो ग्वाँड
एक जोडि भैसि थाण
आर पार खेतो कु सार
अखौ मुसौ मा धान भँखार
उपँरु मा गडरि कु बागण
बँजै गि उ सपनु कु कारबार
बँजै गि उ सपनु कु कारबार

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

Monday, February 18, 2013

हे भैसि

हे भैसि हे भैसि
बीस हजार मा आई छै
नौ धरि काई छा
मैले कै पाई छा
का फुकाई दुधि छा
दिन भैरि तीई पहर
पुर कैरि तीई घटवा
राति-ब्याण थान मा लागि
दुध सुसाई य कण सोचि छा
मुरिया जाति य कण बोलि छा
कख नजर यु लागि छा
चाँद पुरि म्यर भैसि छा
सुणि पडगै दैयुणि ठेकणि
एक नजर कस लागि छा
पुँजरु नुर्ण ले चाटि छा
त्यर थन मा कै नि उणि छा
बुँढ-बाँढि पट नजर
चाह मा देखि लालि छा
गौ कु बाँटा हलचल छा
माँजि भैसि बिगडि छा
एक नजर कस लागि छा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved

Friday, February 15, 2013

कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ

कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ
गौ कु माटु- माटु कु पानि
याद दिलौदिँ- नौले मा भरदि
ताबै कि गगरि- घँघरि मा चलदि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
लग्ग-लग्ग करदि पानि लान्दि
चुल मा बैठि याद ले करदि
कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ
दिल्ली मा बैठि
जिकुडि तै झुर झुर हुन्दि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
त्यारु-ब्यारु दब्यातू कु थाणु
हाथ ले जौडदि चेलुकू नौउ
कदुक मयालु छै तू माँजि
आपण दुखै कै उ छुपैन्दि
हँसदि मुखडि च्यल मा रखदि
तू छै माँजि
कभै हँसौदिँ कभै रुलौदिँ
गौ कु माटु-माटु कु पानि
याद दिलौदिँ-नौले मा भरदि
ताबै कि गगरि- घँघरि मा चलदि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"


लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved

Tuesday, February 12, 2013

"डबल"

Image Hosted At MyspaceGens


समाज मा फैलि यु कस घोल

सबै हैगिण डबलु मा बोल

जख डबलु मा बँद गिण यु कै रिश्त

रिश्त ले हैगिण फिक्स

नरे हरे गो

हिकौल बिसै गो

जा डबलु नि माया देख

ना रिश्तु ना प्यार ना परिवार ना यु दगडि

बिण डबलु यु कै पट

जैकु पास डबल नि हुण्द

वख कुकुर ले पुछड नि हिलुण्द

सैण ले मुख र्फकुण्दि देखी

बिण डबलु माया देखी

रिश्त ले भागी डबल पिछाडि

रुँवै-रुँवै कि हँसि ले ऐगे

सुन्दर डबलु मा देख


प्रेम रिश्त ले तुलि तराजु

कैल बनाई यु डबलु तराजु

फिर जो हुणि अलाप- जलाप

वैकु माथि डबलु कु डाब

लेख-सुन्दर कबडोला

गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

© 2013 copy right

sundarkabdola , All Rights Reserved

Monday, February 11, 2013

ब्यौ बरातु

गौ-गुँठारु

ब्यौ बरातु

ढोल-ढँमाऊ

मैले नाचु

छोड-चाचुडि

हिट काकुडा

छम छमा छम

नाचि दैणु

पाडि बाज मा

ओ बौजि ओ आम्मा

एक फरैक तु ले आ

कुँमौणि गीत तै

ठुमा ठुम नाचि दैणु

भैजि कु बरात मा

“रोकि दै दगडियो मेरोँ”

Rocking roll dance तै

Rocking roll dance तै

गोपालु दास कु

छलौडोँ नाच तै

ठुल कै नौणा

बुढ तै बौडा

वर ले नाचोँ

‘सास रडि’ गीत मा

रौनकी बरात मा

खाई पैई लदौड चिरि

कर उँडग लड झँगड

भैजि कु बरात मा

झुरि गो पराण

झुरि गो पराण

यु हमर पहाड

Today बरात मा

Today बरात

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 , All Rights Reserved

"मै होती माँ मै भी माँ होती"

मै होती

Image Hosted At MyspaceGens


माँ मै भी माँ होती


नव-जीवन अँकुर मे... मै होती


अगर धरा मे मै भी रहती


तो सुहागन मै भी होती


नव-जीवन अँकुर मै देती


तेरी जैसी मै भी होती


जितने रुप तुझमे होते


एक रूप तो मुझको देती माँ


एक रूप तो मुझको देती माँ


80-90 दिन कि थी मै


अगर तू रखती मै भी होती


अपने यौवन बाल्य अवस्था मै भी हँसती


एक रूप तो मुझको देती माँ॥


एक रूप तो मुझको देती माँ॥






मै होती


बाबा मै भी माँ होती


तेरे घर कि कन्यादान मै होती


आँख के आँसु मे ही रखते


छलक के मै निकल ही जाती


कन्यादान मे तेरो बाबा


याद तो आती तुमको मेरी


अगर धरा मे मै भी होती


80-90 दिन कि थी मै


"यु ही मार गिरा दो


भाई हाथ के रक्षा बँन्धन को"


जब पुछेगा ये भाई मेरा


कहा है मेरी छोटी बहना?


जवाब तो तुमको देना होगा


जवाब तो तुमको देना होगा


80-90 दिन कि थी मै


अगर तुम रखते मै भी होती


भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥


भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥






जब त्यार ब्यार मे रौनक होगी


याद तो तुमको मेरी होगी


जब आलि ईजा त्यर माँ भिटौलि


तू किसको देगी बोल भिटौलि


अगर धरा मे मै भी होती


"मै भी होती आस मे बैठी


कब आलि म्यर माँ भिटौलि"


अगर तू रखती मै भी होती


80-90 दिन कि थी मै॥


80-90 दिन कि थी मै॥


लेख-सुन्दर कबडोला

गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

© 2013 copy right पहाडि कविता , All Rights Reserved

Saturday, February 9, 2013

"खुदै लिखैणु अपणु रचना"

Image Hosted At MyspaceGens


जिन्दगी चा एक किताब

कँवर पन्नोँ जै हिसाब

जै दिन है यु प्रकाशित

पडि जै उ-मा एक नौउ

पैद हौन्द तै मरण तलक

सुख-दुख आन्दा कदुका मोड

हर दिनै कँवर पँन्नो तै

मुश्किल बाँटा कसि निभैण

आपण समझ तै भैर नि हुन्द

चिफुल ढुँगि मा खुट जै जैई

“हर पँन्नो मा गैरि रैई”

यु चा भाग्य-विधाता पँन्नो तेरोँ

मरण तै पैलि नौ बनाला

माथ बै बैठोँ दब्यत हमारोँ

अन्तिम खाता….

जीव-यौणि तै मुक्ति पाला

गौ-गुँठारु….

तैई गुण-गान मा रौला

यु चा पैद-मरण कु भाग हमारोँ

खुदै लिखैणु अपणु रचना
खुदै लिखैणु अपणु रचना

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved