Saturday, February 9, 2013

"खुदै लिखैणु अपणु रचना"

Image Hosted At MyspaceGens


जिन्दगी चा एक किताब

कँवर पन्नोँ जै हिसाब

जै दिन है यु प्रकाशित

पडि जै उ-मा एक नौउ

पैद हौन्द तै मरण तलक

सुख-दुख आन्दा कदुका मोड

हर दिनै कँवर पँन्नो तै

मुश्किल बाँटा कसि निभैण

आपण समझ तै भैर नि हुन्द

चिफुल ढुँगि मा खुट जै जैई

“हर पँन्नो मा गैरि रैई”

यु चा भाग्य-विधाता पँन्नो तेरोँ

मरण तै पैलि नौ बनाला

माथ बै बैठोँ दब्यत हमारोँ

अन्तिम खाता….

जीव-यौणि तै मुक्ति पाला

गौ-गुँठारु….

तैई गुण-गान मा रौला

यु चा पैद-मरण कु भाग हमारोँ

खुदै लिखैणु अपणु रचना
खुदै लिखैणु अपणु रचना

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved

No comments:

Post a Comment