हे भैसि हे भैसि
बीस हजार मा आई छै
नौ धरि काई छा
मैले कै पाई छा
का फुकाई दुधि छा
दिन भैरि तीई पहर
पुर कैरि तीई घटवा
राति-ब्याण थान मा लागि
दुध सुसाई य कण सोचि छा
मुरिया जाति य कण बोलि छा
कख नजर यु लागि छा
चाँद पुरि म्यर भैसि छा
सुणि पडगै दैयुणि ठेकणि
एक नजर कस लागि छा
पुँजरु नुर्ण ले चाटि छा
त्यर थन मा कै नि उणि छा
बुँढ-बाँढि पट नजर
चाह मा देखि लालि छा
गौ कु बाँटा हलचल छा
माँजि भैसि बिगडि छा
एक नजर कस लागि छा
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved
Monday, February 18, 2013
Friday, February 15, 2013
कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ
कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ
गौ कु माटु- माटु कु पानि
याद दिलौदिँ- नौले मा भरदि
ताबै कि गगरि- घँघरि मा चलदि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
लग्ग-लग्ग करदि पानि लान्दि
चुल मा बैठि याद ले करदि
कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ
दिल्ली मा बैठि
जिकुडि तै झुर झुर हुन्दि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
त्यारु-ब्यारु दब्यातू कु थाणु
हाथ ले जौडदि चेलुकू नौउ
कदुक मयालु छै तू माँजि
आपण दुखै कै उ छुपैन्दि
हँसदि मुखडि च्यल मा रखदि
तू छै माँजि
कभै हँसौदिँ कभै रुलौदिँ
गौ कु माटु-माटु कु पानि
याद दिलौदिँ-नौले मा भरदि
ताबै कि गगरि- घँघरि मा चलदि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved
गौ कु माटु- माटु कु पानि
याद दिलौदिँ- नौले मा भरदि
ताबै कि गगरि- घँघरि मा चलदि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
लग्ग-लग्ग करदि पानि लान्दि
चुल मा बैठि याद ले करदि
कभै हँसौदिँ- कभै रुलौदिँ
दिल्ली मा बैठि
जिकुडि तै झुर झुर हुन्दि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
त्यारु-ब्यारु दब्यातू कु थाणु
हाथ ले जौडदि चेलुकू नौउ
कदुक मयालु छै तू माँजि
आपण दुखै कै उ छुपैन्दि
हँसदि मुखडि च्यल मा रखदि
तू छै माँजि
कभै हँसौदिँ कभै रुलौदिँ
गौ कु माटु-माटु कु पानि
याद दिलौदिँ-नौले मा भरदि
ताबै कि गगरि- घँघरि मा चलदि
"ऊ छा तेरि-मेरि दुर पहाडि बुढि माँजि"
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved
Tuesday, February 12, 2013
"डबल"

समाज मा फैलि यु कस घोल
सबै हैगिण डबलु मा बोल
जख डबलु मा बँद गिण यु कै रिश्त
रिश्त ले हैगिण फिक्स
नरे हरे गो
हिकौल बिसै गो
जा डबलु नि माया देख
ना रिश्तु ना प्यार ना परिवार ना यु दगडि
बिण डबलु यु कै पट
जैकु पास डबल नि हुण्द
वख कुकुर ले पुछड नि हिलुण्द
सैण ले मुख र्फकुण्दि देखी
बिण डबलु माया देखी
रिश्त ले भागी डबल पिछाडि
रुँवै-रुँवै कि हँसि ले ऐगे
सुन्दर डबलु मा देख
प्रेम रिश्त ले तुलि तराजु
कैल बनाई यु डबलु तराजु
फिर जो हुणि अलाप- जलाप
वैकु माथि डबलु कु डाब
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right
sundarkabdola , All Rights Reserved
Monday, February 11, 2013
ब्यौ बरातु
गौ-गुँठारु
ब्यौ बरातु
ढोल-ढँमाऊ
मैले नाचु
छोड-चाचुडि
हिट काकुडा
छम छमा छम
नाचि दैणु
पाडि बाज मा
ओ बौजि ओ आम्मा
एक फरैक तु ले आ
कुँमौणि गीत तै
ठुमा ठुम नाचि दैणु
भैजि कु बरात मा
“रोकि दै दगडियो मेरोँ”
Rocking roll dance तै
Rocking roll dance तै
गोपालु दास कु
छलौडोँ नाच तै
ठुल कै नौणा
बुढ तै बौडा
वर ले नाचोँ
‘सास रडि’ गीत मा
रौनकी बरात मा
खाई पैई लदौड चिरि
कर उँडग लड झँगड
भैजि कु बरात मा
झुरि गो पराण
झुरि गो पराण
यु हमर पहाड
Today बरात मा
Today बरात
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 , All Rights Reserved
ब्यौ बरातु
ढोल-ढँमाऊ
मैले नाचु
छोड-चाचुडि
हिट काकुडा
छम छमा छम
नाचि दैणु
पाडि बाज मा
ओ बौजि ओ आम्मा
एक फरैक तु ले आ
कुँमौणि गीत तै
ठुमा ठुम नाचि दैणु
भैजि कु बरात मा
“रोकि दै दगडियो मेरोँ”
Rocking roll dance तै
Rocking roll dance तै
गोपालु दास कु
छलौडोँ नाच तै
ठुल कै नौणा
बुढ तै बौडा
वर ले नाचोँ
‘सास रडि’ गीत मा
रौनकी बरात मा
खाई पैई लदौड चिरि
कर उँडग लड झँगड
भैजि कु बरात मा
झुरि गो पराण
झुरि गो पराण
यु हमर पहाड
Today बरात मा
Today बरात
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 , All Rights Reserved
"मै होती माँ मै भी माँ होती"
मै होती

माँ मै भी माँ होती
नव-जीवन अँकुर मे... मै होती
अगर धरा मे मै भी रहती
तो सुहागन मै भी होती
नव-जीवन अँकुर मै देती
तेरी जैसी मै भी होती
जितने रुप तुझमे होते
एक रूप तो मुझको देती माँ
एक रूप तो मुझको देती माँ
80-90 दिन कि थी मै
अगर तू रखती मै भी होती
अपने यौवन बाल्य अवस्था मै भी हँसती
एक रूप तो मुझको देती माँ॥
एक रूप तो मुझको देती माँ॥
मै होती
बाबा मै भी माँ होती
तेरे घर कि कन्यादान मै होती
आँख के आँसु मे ही रखते
छलक के मै निकल ही जाती
कन्यादान मे तेरो बाबा
याद तो आती तुमको मेरी
अगर धरा मे मै भी होती
80-90 दिन कि थी मै
"यु ही मार गिरा दो
भाई हाथ के रक्षा बँन्धन को"
जब पुछेगा ये भाई मेरा
कहा है मेरी छोटी बहना?
जवाब तो तुमको देना होगा
जवाब तो तुमको देना होगा
80-90 दिन कि थी मै
अगर तुम रखते मै भी होती
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥
जब त्यार ब्यार मे रौनक होगी
याद तो तुमको मेरी होगी
जब आलि ईजा त्यर माँ भिटौलि
तू किसको देगी बोल भिटौलि
अगर धरा मे मै भी होती
"मै भी होती आस मे बैठी
कब आलि म्यर माँ भिटौलि"
अगर तू रखती मै भी होती
80-90 दिन कि थी मै॥
80-90 दिन कि थी मै॥
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right पहाडि कविता , All Rights Reserved

माँ मै भी माँ होती
नव-जीवन अँकुर मे... मै होती
अगर धरा मे मै भी रहती
तो सुहागन मै भी होती
नव-जीवन अँकुर मै देती
तेरी जैसी मै भी होती
जितने रुप तुझमे होते
एक रूप तो मुझको देती माँ
एक रूप तो मुझको देती माँ
80-90 दिन कि थी मै
अगर तू रखती मै भी होती
अपने यौवन बाल्य अवस्था मै भी हँसती
एक रूप तो मुझको देती माँ॥
एक रूप तो मुझको देती माँ॥
मै होती
बाबा मै भी माँ होती
तेरे घर कि कन्यादान मै होती
आँख के आँसु मे ही रखते
छलक के मै निकल ही जाती
कन्यादान मे तेरो बाबा
याद तो आती तुमको मेरी
अगर धरा मे मै भी होती
80-90 दिन कि थी मै
"यु ही मार गिरा दो
भाई हाथ के रक्षा बँन्धन को"
जब पुछेगा ये भाई मेरा
कहा है मेरी छोटी बहना?
जवाब तो तुमको देना होगा
जवाब तो तुमको देना होगा
80-90 दिन कि थी मै
अगर तुम रखते मै भी होती
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥
जब त्यार ब्यार मे रौनक होगी
याद तो तुमको मेरी होगी
जब आलि ईजा त्यर माँ भिटौलि
तू किसको देगी बोल भिटौलि
अगर धरा मे मै भी होती
"मै भी होती आस मे बैठी
कब आलि म्यर माँ भिटौलि"
अगर तू रखती मै भी होती
80-90 दिन कि थी मै॥
80-90 दिन कि थी मै॥
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right पहाडि कविता , All Rights Reserved
Saturday, February 9, 2013
"खुदै लिखैणु अपणु रचना"

जिन्दगी चा एक किताब
कँवर पन्नोँ जै हिसाब
जै दिन है यु प्रकाशित
पडि जै उ-मा एक नौउ
पैद हौन्द तै मरण तलक
सुख-दुख आन्दा कदुका मोड
हर दिनै कँवर पँन्नो तै
मुश्किल बाँटा कसि निभैण
आपण समझ तै भैर नि हुन्द
चिफुल ढुँगि मा खुट जै जैई
“हर पँन्नो मा गैरि रैई”
यु चा भाग्य-विधाता पँन्नो तेरोँ
मरण तै पैलि नौ बनाला
माथ बै बैठोँ दब्यत हमारोँ
अन्तिम खाता….
जीव-यौणि तै मुक्ति पाला
गौ-गुँठारु….
तैई गुण-गान मा रौला
यु चा पैद-मरण कु भाग हमारोँ
खुदै लिखैणु अपणु रचना
खुदै लिखैणु अपणु रचना
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved
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