Wednesday, April 24, 2013

अगर है लेना सूरज से कुछ

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युँ तो सूरज रोज निकलता और ढलता है
सदीयो से यूँ ही एक क्रिया मे
ना बदला है ना बदलने कि कोई आहट है

अगर है लेना सूरज से कुछ

तो उसके जीवन शैलि को लेना
जो निरन्तर निष्फल होके
सदीयो से युँ ही एक क्रिया मे
ऊँजा का एक ऐसा राजा
अमिर गरीब कि तुलना है ना
सबको बाँटे लाल किरण
निष्फल होके
सारे जगत को महकाता सूरज

अगर है लेना सूरज से कुछ

तो उसके जीवन शैलि को लेना
क्योकि दोस्तो,
सूरज रोज चढता और ढलता है
सदीयो से युँ ही एक क्रिया मे
सदीयो से युँ ही एक क्रिया मे

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola

Friday, April 12, 2013

त्यर पहाड म्यर पहाड का बै सुधरो का बै बिगडो

त्यर पहाड म्यर पहाड
का बै सुधरो का बै बिगडो
शाष पडि यु पहाड
नान ठुला कक च्येला
दुकानदारा मुर्गि आण
देशी गुलाब बुब नाती
दगडे हुणि यु टोटिल

घर मा देखी आम्ल हाल
बिड़ दगडि मार फुकाण
सास गयि रे मल भदैर
ब्वारिल मारि गढ कनाँऊ
सैणि हैरिण बिड़ फुकाणि
त्यर पहाड म्यर पहाड
का बै सुधरो का बै बिगडो

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserveds