पहाडि कविता
"ऊँच डाण्डि मा रुणि वालि कोट भ्राँमरि भगवति माता"
Thursday, June 13, 2013
यकलु जै महशुश करलि जबै तनहाई मा याद आलि सुवा त्वैके म्यर जुदाई मा थ्वाँड माय मा माय घोलि सुवा अपनु दिल क कोणु मा जबै चाहै देख लियै सुवा अपनु ही परछाई मा…
यकलु जै महशुश करलि जबै तनहाई मा
याद आलि सुवा त्वैके म्यर जुदाई मा
थ्वाँड माय मा माय घोलि सुवा अपनु दिल क कोणु मा
जबै चाहै देख लियै सुवा अपनु ही परछाई मा…
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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