Tuesday, March 12, 2013

कारबार

खेति जोडि जोडि ब्वाँर
एक जोडि बल्दो ग्वाँड

सोचि मैल
भलै हल घर कारबार
एक जोडि ब्वाँरि कु साथ
पर- किन्तु- परन्तु- लेकिन-
कारबार मे फिसले न्याँर
अध्योँ किस्त मे गड़ भिड मार
दिल्ली मे बैठे है ये न्याँरै
छतर बतर करके घर कारबार
उसके सपने जिसने जोडा जोडि ये कारबार
एक जोडि बल्दो ग्वाँड
एक जोडि भैसि थाण
आर पार खेतो कु सार
अखौ मुसौ मा धान भँखार
उपँरु मा गडरि कु बागण
बँजै गि उ सपनु कु कारबार
बँजै गि उ सपनु कु कारबार

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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